इस यात्रा का सबसे अच्छा समय गुरु पूर्णिमा और श्रावण पूर्णिमा के समय में होता है। जून से लेकर अगस्त 45 दिन के उत्सव आषाढ़ पूर्णिमा से रक्षाबंधन तक होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। हिन्दुओ का सबसे पवित्र श्रावण महिना माना जाता है।
गर्मियों – गर्मियों में अमरनाथ का वातावरण बहुत मधुर रहता है। गर्मियों में यहाँ का तापमान 15 डिग्री रहता है, जिसके कारण यहाँ दर्शन करने हजारों श्रद्धालु आते हैं।
मानसून – अमरनाथ में मानसून की कोइ रुत नहीं है, जिसके कारण यहाँ वर्षा साल के किसी भी मौसम में हो सकती है। ऊबड – खाबड रास्तों की फिसलन यात्रियों की यात्रा में दिक्कत पैदा करते हैं।
सर्दी – अमरनाथ में सर्दी नवम्बर से लेकर अप्रैल महीने तक पडती है। सर्दियों में यहाँ बहुत ज्यादा ठंड होती है। इस मौसम में यहाँ तापमान -5 डिग्री से भी नीचे गिर जाता है। इस मौसम में सौलानी भारी बर्फ बारी का लुफ्त उठाने आते हैं।
2011 में तक़रीबन 635, 000 लोग यहाँ आये थे, और यह अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है। यही संख्या 2012 में 625,000 और 2013 में 3,50,000 थी।
खराब मौसम
काफी ऊँचाई पर स्थित होने के कारण अमरनाथ के मौसम में कई बदलाव आते हैं। साल के ज्यादा तर महीने यहाँ बर्फ बारी होती है। यहाँ का औसत तापमान 15 डिग्री रहता है। सर्दियों में भारी बर्फ बारी के कारण यहाँ का तापमान मैन्स डिग्री हो जाता है। रास्ते में कभी बर्फ़ गिरने लग जाती है, कभी बारिश होने लगती है तो कभी बर्फीली हवाएं चलने लगती है। यूं तो हर वर्ष जून से अगस्त तक चलने वाली यात्रा में कम से कम 5 से 10 लोगों की मौत होती ही है और ज्यादा से ज्यादा 60-65 लोग खराब मौसम और हृदयाघात से मर जाते हैं। लेकिन वर्ष 1996 में अमरनाथ यात्रा के दौरान खराब मौसम के कारण 250 यात्री मारे गए थे। यह अमरनाथ यात्रा के इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक त्रासदी मानी जाती है।
पवित्र सावन महीना
वेदों, पुराणों एवम शास्त्रों के अनुसार जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने चले जाते है व चार माह पश्चात देव उत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागृत अवस्था में आते है। इन चार महीनों में भगवान महादेव की पूजा की जाती है। अतः सावन महीना शिव जी को समर्पित है। इसी माह में भगवान महादेव पवित्र स्थल अमरनाथ में बर्फ रूप में अवतरित होते है।
Mujhe ye janna hai ki Amarnath ke darshan ke sath sath maa Vaishno Devi ke bhi Darshan karne jaruri hai kya jab hi Yatra Puri Hoti hai Amarnath ki plz answer de dijiye