कपालमोचन स्थल जगन्नाथ मंदिर के दक्षिण पश्चिम में है। अमरनाथ मंदिर सिंह द्वारके सम्मुख स्थित हैं। श्री राधाकान्त मठ जिसे गंभीरनाथ भी कहते हैं ,स्वर्गद्वार से समुद्रतट की ओर जाते समय दिखलायी देता है। इसी मार्ग पर सिद्धबकुल सिंह द्वार के निकट नानक मठ है जहां पर गुरु साहिब नानक देव जी ने कुछ दिन प्रवास किये थे। यहीं पर गोवर्धन मठ ,स्थित है जिसे शंकराचार्य जी ने बनवाया था, बैकुंठ द्वार के निकट कबीरमठ ,स्थित है। बैकुंठ द्वार के दाहिनी तरफ हरिदास का चबूतरा है और उससे डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर टोटा गोपीनाथ जी का मंदिर स्थित है।
लोकनाथ मंदिर यह बहुत ही प्रसिद्ध शिव मन्दिर है जगन्नाथ मन्दिर से यह एक किलोमीटर दूर है। यहाँ के निवासियों में ऐसा विश्वास है कि भगवान राम ने इस जगह पर अपने हाथों से इस शिवलिंग की स्थापना की थी। त्योहारों के समय इस मन्दिर में विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है।
पुरी रेलवे स्टेशन मार्ग पर हनुमान जी का मंदिर मुख्य मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। हनुमान मंदिर के सम्मुख चक्रतीर्थ समुद्रतट पर स्थित है। हनुमान मंदिर के निकट ही सोनार गौरंगा नामक स्थल है पुरी आने वाले पर्यटक अक्सर छुट्टियां बिताने दरिया हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर जाना पसंद करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के इस हिस्से में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। उनमें से ही एक है दरिया हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर।
बालीघाई तथा सत्याबादी, दोनों ही प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं। इन तीर्थस्थलों में भगवान साक्षीगोपाल की पूजा की जाती है। यहाँ पर एक प्रसिद्ध सू्र्य मन्दिर है कोणार्क। यह भ्रमण के लिए एक अनोखा स्थल है। यहाँ 13वीं सदी की वास्तुकला और मूर्तिकला को देख सकते हैं।
अर्द्धशनि मंदिर, पुरी आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है अर्द्धशनि मंदिर। इस मंदिर की मुख्य संरचना बहुत बड़ी नहीं है। यह मंदिर पूरी तरह से सफेद है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यह इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
महेंद्रगिरि प्रमुख आकर्षणों में एक है। गजपति जिले के पार्लाखेमुंडी इलाके में स्थित है महेंद्रगिरि। समुद्र की सतह से 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह जगह। यहां से आसपास के मनोरम और हैरतअंगेज कर देने वाले नजारे दिखते हैं।आकर्षक पर्वत शृंखला, हरे-भरे जंगल, शांति के साथ बहती छोटी नदी महेंद्र तनया और यहां का खुशनुमा मौसम मिलकर महेंद्रगिरि को एक खूबसूरत जगह बनाते हैं। महेंद्रगिरि ने इस क्षेत्र के समृद्ध धार्मिक और पौराणिक इतिहास के अवशेष भी संजोकर रखे हैं। राधानाथ रे और कालिदास जैसे महान कवियों ने महेंद्रगिरि पर्वत की ऊंची चोटियों की खूबसूरती पर कई कविताओं की रचना की है। महेंद्रगिरि एक प्राचीन स्थल है, जो इस खूबसूरत जगह के पुरातत्विक अवशेषों को प्रदर्शित करने का दावा करता है। शहरों की अस्त-व्यस्त भीड़-भाड़ से दूर महेंद्रगिरी पर्वत पर्यटकों को रोजमर्रा के सांसारिक जीवन के तनावों से मुक्त करता है।
खंडगिरि गुफाएं यह जगह भुवनेश्वर से महज 6 किमी की दूरी पर है। खंडगिरि की गुफाएं ओडिशा का अहम आकर्षण है, जो पर्यटकों को गुजरे वक्त में ले जाती हैं। खंडगिरि की इन 15 गुफाओं में प्राचीन काल में जैन विद्वान और तपस्वी रहा करते थे। पहाड़ों की चट्टानों को काटकर खंडगिरि गुफाओं की दीवारें बनाई गई हैं। इन पर सुंदर चित्र और रूपांकन आकर्षक हैं। कुछ दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र साहित्य के अंश भी अंकित हैं।
उदयगिरि गुफाएं ,उदयगिरि की गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई 18 गुफाएं हैं। यह प्राचीन काल की धार्मिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं। 135 फीट की ऊंचाई पर स्थित उदयगिरि पर्वत को प्राचीन काल में कुमारी पर्वत कहा जाता है।
उदयगिरि की गुफाओं का निर्माण जैन तपस्वियों और विद्वानों के रहने के लिए किया गया था। जो सच और शांति की तलाश में दुनियावी खुशी को छोड़कर निकले हैं। उदयगिरि की गुफाओं की दीवारें मनुष्यों और जानवरों की खूबसूरत पेंटिंग्स से सजी हुई हैं। गुफाओं की कुछ दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों के साहित्य को अंकित किया गया है। उदयगिरि की हर गुफा का अपना एक अलग नाम है। दो-मंजिला रानी गुफा सबसे प्रभावशाली गुफा है। रानी गुफा की दीवारों और दरवाजे को खास तौर पर सजाया गया है। यहां आकर्षक नक्काशी की गई है। ज्यादातर नक्काशी दुश्मनों पर यहां के राजाओं की जीत को प्रदर्शित करती है।