एक जगह जूते जमा करवाने के बाद आगे बढ़ते है। जगन्नाथ जी के दर्शन करने हेतु सर्वप्रथम श्रद्धालुओं को मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश कर यहां स्थित भोगमण्डल-गणेशजी-वटवृक्ष –नृसिंहजी-रोहिनीकुंड एवं लक्ष्मीजी की परिक्रमा करनी पड़ती है तब मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है। र्मियों के दिनों में मंदिर के मुख्य प्रबंधन की तरफ से श्रद्धालुओं के सीढ़ियों के हर हिस्से पर पानी धीरे-धीरे रसता रहता है । पानी की वजह से गर्मी से राहत मिलती है। साथ ही श्रद्धालुओं के सीढ़ियों पर चलने के दौरान संतुलन न बिगड़े इसके लिए मोटी-मोटी रस्सियां भी लगाई गईं है। मंदिर में प्रवेश से पहले ठीक दाई तरफ आनंद बाजार और बायी तरफ पवित्र महाप्रभु की महारसोई है। मंदिर के मुख्य द्वार से भगवान जगन्नाथ के गर्भगृह तक पहुंचने में सिर्फ सात मिनट का वक्त लगता है। मंदिर में आरती के बाद दर्शन के वक्त लगातार बज रही घंटियां, पंडितों के मंत्रोच्चार की ध्वनि जयकारों से मंदिर का कोना-कोना गूंज गूँज उठता है।
श्रीजगन्नाथजी ,सुभद्राजी एवं बलभद्रजी को नमन कर श्रद्धा से भेंट चढ़ाते है और श्रीलोकनाथ जी का ध्यान किया जाता है। मंदिर परिसर में ही दर्शन के बाद एक जगह पर लोग दीए जलाकर मन्नत मांगते और प्रार्थना करते है। दीए आप वहीं से खरीद सकते है और इसके लिए वहां कई दुकानें है। यहां से चंद फीट की दूरी पर एक हरे रंग दीवार से टिककर लोग भगवान की तरफ देखते और प्रार्थना करते है। इसके बाद भगवान से लोग विदाई लेते है। मंदिर परिसर से काफी दूर जाने के बाद भी घंटा-घड़ियाल, शंखनाद की गूंज कानों में गूंज उठती है।मंदिर परिसर में कुछ छोटे-बड़े बंदर खेल-कूद करते रहते है ।मुख्य मंदिर के पत्थरों पर बैठे उन बंदरों के शरीर के रंग से जगन्नाथ मंदिर के पत्थरों का रंग बिल्कुल मैच है । काफी ध्यान से देखने पर यह पता चलता है। कि वहां बंदरों का एक झुंड है।
जगन्नाथ पूरी मंदिर को सबसे गरीब क्यों कहा जाता है
जगन्नाथ पुरी जी के दर्शन करने के लिए कितना समय लगेगा