धाम यात्रा

जगन्नाथ मंदिर का महाप्रसाद

आनंदा बाज़ार में मंदिर की रसोई में भगवान के महाभोग के लिए महाप्रसाद को लकड़ी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में 40 से 50 क्विंटल चावल और 20 क्विंटल दाल व सब्जियों समेत तैयार किया जाता है। इस महाप्रसाद को करीब 500 रसोइए 300 सहयोगियों के द्वारा बनाते है। जिसे रोज करीब 20 हज़ार लोगों को और त्योहारों के समय में करीब 50 हज़ार भक्तो को भोजन कराया है। महाप्रसाद में चावल, घी चावल, मिक्स चावल, जीरा, हींग, अदरक मिक्स चावल और नमक के साथ मीठी दाल, प्लेन मिक्स दाल, सब्जी, तरह-तरह की करी, सागा भाज़ा (पालक फ्राई) और दलिया होता है। नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का प्रसाद यहां विशेष रूप से मिलता है। महाप्रसाद दो तरह का होता हैं।सूखा और गीला। । खाने को पहले भगवान जगन्नाथ के सामने पेश किया जाता है। इसके बाद देवी बिमला को अर्पण किया जाता है, महाभोग के बाद यह महाप्रसाद आनंद बाजार में बेहद कम दाम में बिक्री के लिए उपलब्ध होता है। सभी श्रद्धालु, आनंद बाज़ार के इस महाप्रसाद का स्वाद लेना पसंद करते हैं। विशेष बात यह भी है कि हमने कच्ची हरी मिर्च, पीली मिर्च, लाल मिर्च तो देखी थी लेकिन पुरी में भोजन के साथ हर बार सलाद में लगभग काले रंग की मिर्च अवश्य मिलती है।

पुरीके जगन्नाथमंदिर का विशाल रसोईघर विश्व का सबसे बड़ा रसोईघर है। जहाँ लगभग 700 से 800 रसोइये काम करते है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ को भोग का प्रसाद इसी रसोई में बनता है। मंदिर के बाहर स्थित रसोई में 25000 से ज्यादा भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। रोजाना पकाए जाने वाले भोजन का भगवान को भोग लगाया जाता है।

निर्मल्य घर पर रखोगे तो कभी घर के भण्डार खाली नहीं होंगे

यहां निर्मल्य भी मिलता है। दरअसल एक गुलाबी कपड़े में लपेटा और धागे से सिले हुए निर्मल्य में चावल के दाने होते है। ऐसी मान्यता है कि इस निर्मल्य को घर के भंडार गृह, पूजा गृह और तिजोरी में रखना बेहद शुभ होता है और इससे अमुक घर में धन-धान्य की हमेशा वृद्धि होती है और उस घर का भंडार कभी खाली नहीं होता। पुरी के इस महारसोई के बारे में भी यही कहा जाता है कि यहां का भंडार कभी खाली नहीं होता। जबकि यह महाप्रसाद रोजाना लाख से भी ज्यादा भक्त ग्रहण करते हैं । यहां मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है और उसे आप अगर ग्रहण नहीं करते है तो यह महाप्रभु का अपमान माना जाता है और ऐसा शायद ही कोई करना चाहेगा। दरअसल निर्मल्य भी एक तरह से महाभोग ही है जो भगवान पर चढ़ाया जाता है।

घर के लिए महाप्रसाद

श्रद्धालु इस महाप्रसाद को अपने घर के लिए सामाजिक कार्य या शादी में मेहमानों को परोसने के लिए खरीद भी सकते हैं। जिसे काफी सस्ते दाम में बेचा जाता है।

मूल्य :

एक कुडुआ (एक मिट्टी के बर्तन) जिसमें चावल, तरह-तरह की दाल और सब्जियां होती हैं।
कुडुआ की कीमत 50 रुपये से शुरू होती है, ऑर्डर की कीमत बाईहांड़ी 2,000 रुपये है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) की वेबसाइट पर इस ‘महाप्रसाद को अन्ना ब्रम्ह के नाम से देख सकते हैं।


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