बैसाख अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होने वाले इस चंदन लेप की परंपरा ने हाल ही के कुछ वर्षों में चंदन यात्रा उत्सव’ का रूप ले लिया हैं।,इस दिन विश्व भर में भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लेप लगाया जाता है। भगवान को चंदन की शीतलता देकर भक्त उनसे अपने तापों को हरने का निवेदन करते हैं। यह उत्सव 21 दिन ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी तक चलता है। वृंदावन के सभी मंदिरों में अक्षय तृतीया के दिन भगवान् के उत्सव-विग्रहों को चन्दन के लेप से पूरा ढक दिया जाता हैं। भगवान का चंदन लेप श्रृंगार कर भँवरा व राधा-रानी को फूल का रूप दिया जाता है। फूलों की पोशाकों में भगवान का दिव्य रूप सभी भक्तो का मन मोह लेता हैं।
मान्यता है कि स्वयं भगवान् जगन्नाथ ने राजा इंद्रद्युम्न को इस उत्सव को मानाने के लिए आदेश दिया था । एक बार गोपाल जी ने माधवेन्द्र पुरी को सपने में जमीन खोदकर प्रकट करने का अनुरोध किया। माधवेन्द्र पुरी ने गांव वालों की मदद से उस स्थान को खोदा और वहां मिले गोपाल जी के अर्चाविग्रह को गोवर्धन पर्वत पर स्थापित किया। कुछ दिन बाद गोपाल ने कहा कि जमीन में बहुत समय तक रहने के कारण उनका शरीर जल रहा है। सो वे जगन्नाथ पुरी से चंदन लाकर उसके लेप से उनके शरीर का ताप कम करें।महीनो पैदल चलकर वह जगन्नाथ पूरी धाम पोहचते है। ओडिशा व बंगाल की सीमा पर वे रेमुन्ना पहुंचे जहां गोपीनाथ जी का मंदिर था।
रात को उस मंदिर में गोपीनाथ को खीर का भोग लगाते देख पुरी ने सोचा कि अगर वे उस खीर को खा पाते तो वैसी ही खीर अपने गोपाल को भी खिलाते। ऐसा सोचकर वे रात को सो गए। उधर भगवान गोपीनाथ ने पुजारी को रात में स्वप्न में बताया कि मेरा एक भक्त यहां आया है, उसके लिए मैंने खीर चुराई है, उसे वह दे दो। भगवान की भक्त के लिए यह चोरी इतनी प्रसिद्ध हुई कि उनका नाम ही खीरचोर गोपीनाथ पड़ गया। जगन्नाथ पुरी में माधवेन्द्र पुरी ने भगवान जगन्नाथ के पुजारी से मिलकर अपने गोपाल के लिए चंदन मांगा। पुजारी ने पुरी को महाराजा पुरी से मिलवा दिया और महाराजा ने अपने क्षेत्र की एक मन ‘40 किलो, विशेष चंदन लकड़ी अपने दो विश्वस्त अनुचरों के साथ पुरी को दिलवा दी।
जब पुरी गोपीनाथ मंदिर के पास पहुंचते तो गोपाल फिर उनके स्वप्न में आए और कहा कि वो चंदन गोपीनाथ को ही लगा दें क्योंकि गोपाल और गोपीनाथ एक ही हैं। माधवेन्द्र पुरी ने गोपाल के निर्देशानुसार चंदन गोपीनाथ को ही लगा दिया। तब से इस लीला के सम्मान में चंदन यात्रा उत्सव आरंभ हुआ।
puri me vijay dashami par aane me koi samasya to nahi hogi. Thanks