द्वारका के मुख्य शहर से लगभग 30 किमी के आसपास स्थित एक द्वीप है। इस द्वीप को बेट शंखोधर के नाम से भी जाना जाता है, और यह एक समृद्ध बंदरगाह है। यह सफेद रेत, समुद्र तट और प्रवाल भित्तियों से घिरा हुआ है। यह थोड़ा समुद्र के अंदर है। श्री कृष्ण भगवान अपनी गोपियों के साथ यहां रहते थे| यहां बहुत लोग दर्शन करने आते है। बेट द्वारका में जाने के लिए नाव में बैठकर जाना पड़ता है। करीब 10 से 15 मीनट दूरी का रास्ता है। इस आइलैंड पर कुछ दुर्लभ और सुंदर मंदिर हैं, वहां एक संकीर्ण सड़क है जो इन मंदिरों की ओर जाता है जो स्थानीय शिल्प, मूर्तियों, कैसेट, नारियल और समुद्री मछली बेचने वाले विक्रेताओं द्वारा भीड़ भी रहती हैं। द्वीप पर स्थित मुख्य मंदिर भगवान श्री कृष्ण का है, जो एक समय भगवान कृष्ण और उनके परिवार का निवास था। यहाँ आप डॉल्फिन देख सकते हैं, कैम्पिंग का आनंद उठा सकते हैं और समुद्री यात्रा भी कर सकते हैं। यहाँ के कुछ प्रमुख मंदिर हैं, विष्णु, राधा, लक्ष्मी, सत्यभाम, देवकी और जम्बावती, वल्लभाचार्य द्वारा बनाया हुआ 500 वर्ष पुराना मंदिर, हनुमान मंदिर जो उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, कचोरियु – भगवान श्री राम का मंदिर, हाजी किरमानी पीर की दरगाह (एक जाने माने सूफी संत) और एक गुरुद्वारा।
बेट-द्वारका ही वह जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने प्यारे भगत नरसी की हुण्डी भरी थी। बेट-द्वारका के टापू का पूरब की तरफ का जो कोना है, उस पर हनुमानजी का बहुत बड़ा मन्दिर है। इसीलिए इस ऊंचे टीले को हनुमानजी का टीला कहते है। आगे बढ़ने पर गोमती-द्वारका की तरह ही एक बहुत बड़ी चहारदीवारी यहां भी है। इस घेरे के भीतर पांच बड़े-बड़े महल है। ये दुमंजिले और तिमंजले है। पहला और सबसे बड़ा महल श्रीकृष्ण का महल है। इसके दक्षिण में सत्यभामा और जाम्बवती के महल है। उत्तर में रूक्मिणी और राधा के महल है। इन पांचों महलों की सजावट ऐसी है कि आंखें चकाचौंध हो जाती हैं। इन मन्दिरों के किबाड़ों और चौखटों पर चांदी के पतरे चढ़े हैं। भगवान कृष्ण और उनकी मूर्ति चारों रानियों के सिंहासनों पर भी चांदी मढ़ी है। मूर्तियों का सिंगार बड़ा ही कीमती है। हीरे, मोती और सोने के गहने उनको पहनाये गए हैं। सच्ची जरी के कपड़ों से उनको सजाया गया है।
बेट-द्वारका में कई तालाब है-रणछोड़ तालाब, रत्न-तालाब, कचौरी-तालाब और शंख-तालाब। इनमें रणछोड तालाब सबसे बड़ा है। इसकी सीढ़िया पत्थर की है। जगह-जगह नहाने के लिए घाट बने है। इन तालाबों के आस-पास बहुत से मन्दिर है,लोग इन तालाबों में नहाते है और मन्दिर में फूल चढ़ाते है।
भद्रकाली चौक पर बहुत से दुकानों पर ट्रेवल एजेंट द्वारा बेट द्वारका के लिये बस का टिकट मिलता है, आप उनसे टिकेट ले सकते है, या फिर
कुछ दुरी पर टिकट का ऑफिस है, जहाँ बेट द्वारका के लिये बस का टिकट मिल जायेगा, बस चार जगह ले जाती ‘ रुक्मणी मन्दिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गोपी तालाब तथा बेट द्वारका |
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