चित्रकूट धाम भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। चित्रकूट की महिमा का वखाण भारत के प्रकाण्ड विद्मानो ने अपनी रचनाओं और व्याख्याओं में हमेशा किया है। जिनमे की आदि-कवि महर्षि वाल्मीकि, महर्षि व्यास, महाकवि कालिदास, संस्कृत नाटककार भवभूति, संतकवि तुलसी,मुस्लिम कवि रहीम, यहाँ तक की भगवान राम ने भी इस भूमि को बनवास के दौरान अपने रहने के लिए चुना और साधू संतो की इस आदि सरजमीं को महत्व दिया है। चित्रकूट धाम सदियों से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। इस स्थान पर ही ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। तथा ब्रह्मा,विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।
यह भी मान्यता है। की ‘भगवान राम ने अपने वनवास के प्रारंभिक साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में व्यतित किए थे। इसी से यह हिंदू समाज के लिए विशेष श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। चित्रकुट को इसलिए भी गौरव प्राप्त है। कि इसी तीर्थ में भक्तराज हनुमान की सहायता से भक्त शिरोमणि तुलसीदास को प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए। चित्रकूट एक ऐसी तपस्थली जहां की मिटृी योगियों, ऋषियों और श्रद्वालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती रही है।लोग धर्म की इस नगरी में आकर अपने आपको धन्य मानते है। यहां हर माह की अमावस्या को देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है। पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।