गंगोत्री धाम पवित्र और पावन गंगा नदी का उदगम स्थान है | हिन्दू धर्म में गंगा को पतित पावनी माता तुल्य माना गया है | भागीरथी के तट पर स्थित गंगोत्री मंदिर में माता गंगा के दर्शन करने श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं |
माता गंगा का गंगोत्री मंदिर सुद्रतल से 3042 मीटर की ऊंचाई में स्थित है | सर्व प्रथम 18 वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया था | उसके पश्चात इसका पुननिर्माण जयपुर के राजघराने ने करवाया |
पौराणिक काल में भगवान राम के वंशज रजा भागीरथ ने इसी स्थान में भगवान शिव की तपस्या कर के गंगा को धरती पर अवतरित करवाया था | जिससे उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई |
लोक कथाओं के अनुसार पांडवों ने यहीं पर महाभारत युद्ध में मारे गये अपने परिजनों की आत्मा की शान्ति के लिए एक देव यज्ञ का अनुष्ठान किया था |
गंगोत्री धाम का इतिहास 700 वर्ष पुराना है | प्राचीन काल में यात्रा मौसम में श्रद्धालु पैदल ही यहाँ की यात्रा करते थे | उस समय यहाँ भागीरथी शिला के समीप एक मंच में निकटवर्ती गाँव से लायी गयी प्रतिमाओं की पूजा अर्चना होती थी | गोरखा सेनापति ने यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया और टकनौर के राजपूतों को यहाँ का पुजारी बनाया | बाद में जयपुर के रजा माधो सिंह द्वितीय ने मंदिर की मरम्मत करवाई और इसे एक भव्य मंदिर के रूप में बनाया |
गंगोत्री धाम अक्षय तृतीय के दिन खुलता है और भाई दूज के दिन इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं | अप्रैल से अक्टूबर तक यात्रा काल का समय होता है | शीतकाल में निकट के मुख्बा गाँव में माता गंगा की पूजा अर्चना होती है |