आदि देव, महादेव, स्वयंभू, पशुपति, नीलकंठ, भगवान आशुतोष, शंकर, भोले भंडारी को सहस्त्रों नामों से स्तुति कर पुकारा जाता है। श्री अमरनाथ को भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक तीर्थों का तीर्थ कहा जाताहै।
कश्मीर में वैसे तो 45 शिव धाम, 60 विष्णु धाम, 3 ब्रह्मा धाम, 22 शक्ति धाम, 700 नाग धाम तथा असंख्य तीर्थ हैं पर श्री अमरनाथ धाम का सबसे अधिक महत्व है। काशी में लिंग दर्शन एवं पूजन से दस गुणा, प्रयाग से सौ गुणा, नैमिषारण्य तथा कुरुक्षेत्र से हजार गुणा फल देने वाला श्री अमरनाथ स्वामी का पूजन है।
देवताओं की हजार वर्ष तक स्वर्ण पुष्प मोती एवं पट्टआ वस्त्रों से पूजा का जो फल मिलता है, वह श्री अमरनाथ की रसलिंग पूजा से एक ही दिन में प्राप्त हो जाता है।
जिसने कभी अमरनाथ की रोमांचक यात्रा नहीं की, वह बहुत दुर्भाग्यशाली इंसान है, क्योंकि वह धरती के स्वर्ग के एक ख़ास आनंद से वंचित रह गया है। दरअसल, केदारनाथ से आगे है अमरनाथ और उससे आगे है कैलाश पर्वत। कैलाश पर्वत शिवजी का मुख्य समाधिस्थ होने का स्थान है तो केदारनाथ विश्राम भवन। हिमालय का कण-कण शिव-शंकर का स्थान है।