गुरु नानक देव का जन्मदिन जो सिख धर्म के संस्थापक हैं। इस दिन सिख लोग ईश्वर भक्ति करते हैं।
प्रकाशोत्सव सुबह ढाई बजे से आरंभ होता है, जब गुरुग्रंथ साहिब जी को उनके कक्ष से गुरुद्वारे में लाया जाता है। संगतों की टोली भजन-कीर्तन करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में सजाकर गुरुद्वारे में लाती है। रात के समय सुखासन के लिए गुरु ग्रंथ को कक्ष में भी वापस भी इसी तरह लाया जाता है। कड़ाह प्रसाद (हलवा) की व्यवस्था भी 24 घंटे रहती है।
बैसाखी, जो अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता हैं। इसी दिन सिख लोग खालसा की खालसा पंथ की स्थापना दिवस भी मनाते हैं। यानि बैसाखी के दिन स्वर्ण मंदिर की अनुपम रूप देखने को मिलता है।
शहीदी दिवस, गुरु तेग बहादुर का मृत्युदिन, गुरु राम दास , जन्म दिवस लोहड़ी, संक्रांति , जैसे त्यौहारों पर स्वर्ण मंदिर में भव्य कार्यक्रम होते हैं।
साधारणतः दीवाली के दिन दियो और कंदिलो की रौशनी में स्वर्ण मंदिर की सुंदरता देखने लायक होती है. इस दिन स्वर्ण मंदिर को दियो और लाइट से सजाया जाता है और फटाखे भी फोड़े जाते है. हर सिख अपनी ज़िन्दगी में एक बार जरूर स्वर्ण मंदिर जाता है और ज्यादातर सिख अपने ज़िन्दगी के विशेष दिनों जैसे जन्मदिन, शादी, त्यौहार इत्यादि समय स्वर्ण मंदिर जाते है.